इतना फायदेमंद है कि यहां के लोग जेब में रखते हैं एक आलू

इतना फायदेमंद है कि यहां के लोग जेब में रखते हैं एक आलू

सेहतराग टीम

भारत ही नहीं पूरी दुनिया में भोज्‍य पदार्थ के रूप में आलू का इस्‍तेमाल पता नहीं कितने साल से हो रहा है। इसे दुनिया की सबसे लोकप्र‍िय सब्‍जी कहा जाए तो अनुचित नहीं होगा। भारत में यह सब्‍जी दक्षिण अमेरिका से आई है। आमतौर पर लोगों को ये कहते सुना जाता है कि आलू ज्‍यादा मत खाओ मोटे हो जाओगे। इसी प्रकार अगर डायबिटीज की शिकायत है तब भी आलू खाने के लिए मना कर दिया जाता है।

क्‍या सिर्फ नुकसान करता है आलू

तो क्‍या आलू में केवल नुकसानदेह तत्‍व ही होते हैं? जी नहीं, दरअसल आलू में उच्‍च पोषक तत्‍व होते हैं। यूं तो इसका मुख्‍य आहार तत्‍व स्‍टार्च है लेकिन इसमें उच्‍च जीव वैज्ञानिक मूल्‍य की उल्‍लेखनीय मात्रा का प्रोटीन रहता है। इसमें क्षारीय नमक की पर्याप्‍त मात्रा होने के साथ-साथ सोडा, पोटाश और विटामिन ए और बी भी भरपूर होता है।

आलू के औषधीय गुण

आलू में कई औषधीय गुण हैं। सबसे पहले तो यह अत्‍यधिक क्षारीय आहारों में से एक होता है। इसके अलावा इसमें पोटाश और सोडा भी पर्याप्‍त होता है इसलिए ये हमारे शरीर का क्षार रिजर्व बनाए रखने में मददगार होता है। इसके अलावा अम्‍ल यानी एसिड की समस्‍या में यह एक प्राकृतिक विषनाशक है। यह यूरिक एसिड और चूने में आसानी से घुल जाता है। आलू आंत में खमीर उठने (फर्मेंटैशन) की प्रक्रिया को रोकने में भी सक्षम है और पाचन तंत्र में अनुकूल बैक्‍टीरिया का भी इससे विकास होता है।

स्‍कर्वी रोग में फायदा: आलू को स्‍कर्वी रोग के लिए उत्‍कृष्‍ट औषधि माना जाता है। यूरोप में आलू की खेती जिस रफ्तार में बढ़ी उसी अनुपात में वहां स्‍कर्वी रोग का असर कम होता चला गया। आज भी जिस साल वहां आलू की फसल कम हो जाती है उस साल इस रोग का उभार देखा जाता है।

गठिया: कच्‍चे आलू का रस गठिया के लिए बेहतरीन औषधि है। कच्‍चे आलू को मसलकर उसका रस भोजन से पहले एक या दो चम्‍मच ले लेना चाहिए। यह एसिड की स्थिति को ठीक करता है और गठिया से छुटकारा दिलाता है। इंग्‍लैंड के कुछ ग्रामीण इलाकों में गठिया रोगियों के पास हमेशा एक आलू रखने का चलन है। वहां ये विश्‍वास है कि ये साबूत आलू भी गठियाग्रस्‍त व्‍यक्ति के शरीर के कुछ अम्‍ल सोख सकता है। ऐसे लोग कुछ दिन के बाद पुराना आलू फेंक देते हैं और नया अपने पास रख लेते हैं।

पाचन तंत्र: कच्‍चे आलू का रस पेट और आंत की अनियमितताओं के लिए उपयोगी है। गुलाबी आलुओं से पेट के अल्‍सर का उपचार किया जाता है। आले के रस से जठरशोथ के निवारण में सहायता मिलती है। भोजन के आधे घंटे पहले आधा कप आलू का रस दो या तीन समय लेने की सलाह दी जाती है। गेस्‍ट्रो इंटेस्‍टाइन बीमारियों और विषाक्‍तता में आलू अप्रदाहजन घटक के रूप में दिया जाता है।

त्‍वचा दोष: कच्‍चे आलू का रस त्‍वचा रोग में भी लाभयदायक होता है। आलू में पोटैशियम, सल्‍फर, फॉस्‍फोरस और क्‍लोरीन उच्‍च मात्रा में रहने से यह सफाई के काम में आता है। इन तत्‍वों का महत्‍व तभी है जब आलू कच्‍ची अवस्‍था में हो, इस अवस्‍था में वे जीवित ऑर्गेनिक कणों से बने होते हैं। पकी हुई अवस्‍था में वे इनॉर्गेनिक कणों में बदल जाते हैं और रचनात्‍मक प्रयोजनों के लिए कम महत्‍व के होते हैं।

त्‍वचा को उम्र के असर से बचाने के लिए छिले हुए कच्‍चे आलुओं के रसीले गूदे का इस्‍तेमाल किया जाता है। मुंह और शरीर के अन्‍य झुर्रीदार भागों में रात को इसके गूदे की मालिश करने से यह झुर्रियां मिटाने, उम्र प्रभावित धब्‍बों को दूर करने और त्‍वचा को साफ रखने में मदद करता है। कच्‍चे आलू के गूदे का रस विटामिन सी और प्राकृतिक स्‍टार्च में मिला देने से त्‍वचा आहार तैयार होता है जो त्‍वचा के सूखे कोशिकामय उत्‍तकों का पोषण करता है।

सूजन: कच्‍चे आलू का रस बाहरी तौर पर लगाना सूजन, जोड़ों और स्‍नायुओं की अन्‍य अनियमितताओं के उपचार के लिए उपयोगी है। रस निकालने के बाद उसे मूल मात्रा का पांचवां भाग शेष रहने तक उबालना चाहिए और बाद में उसमें थोड़ा ग्लिसरीन मिला देना चाहिए। इस तरह बने मिश्रण को लेप के रूप में इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए। सूजन प्रभावित हिस्‍से की सिंकाई करने के बाद यह लेप लगाना चाहिए और दर्द और सूजन हटने तक हर तीन घंटे में लेप को दोहराना चाहिए।

आंखों की जलन: पतले लिलेन के दो टुकड़़ों के बीच पिसे आलुओं को रखकर आंख पर दबाने से प्रभावशाली परिणाम मिलते हैं। इस पैड के बहुत गरम हो जाने या सूख जाने पर इसे बदल लेना चाहिए।

सामान्‍य उपयोग

इसका उपयोग कई तरह से किया जा सकता है। इसे उबाला, भूना और अन्‍य वनस्‍पतियों के साथ पकाया जा सकता है, लेकिन इसे इस तरह पकाना चाहिए कि इसके सारे पोषक तत्‍व सुरक्षित रहें। ध्‍यान रखें कि आलू को हमेशा छिलके के साथ पकाना चाहिए क्‍योंकि आलू का अति पोषक भाग उसके छिलके के एकदम नीचे रहता है और इस विशिष्‍ट सतह में प्रोटीन एवं खनिज पदार्थ बहुत अधिक मात्रा में रहते हैं।

सावधानियां

मोटे व्‍यक्तियों को आलू कम खाना चाहिए, क्‍योंकि इससे मोटापा बढ़ता है। इसे यौन रोग और कामोत्‍तेजक प्रवृति के व्‍यक्तियों को भी अपने भोजन से निकाल देना चाहिए।

ऊपर दिए गए विवरणों से स्‍पष्‍ट है कि क्‍यों करीब साढ़े तीन सौ सालों से यह पूरी दुनिया में मुख्‍य आहार की तरह इस्‍तेमाल किया जा रहा है। दरअसल किसी भी तरह की अकाल की स्थिति में गेहूं के विकल्‍प के रूप में इससे शरीर को पूर्ण पौष्‍ट‍िक आहार हासिल होता है। तो अगली बार भोजन से आलू को छांटते समय आप ध्‍यान रखें कि कहीं आप अपने भोजन से जरूरी पौष्टिक तत्‍व तो नहीं हटा रहे।

यह आलेख डॉक्‍टर हरिकृष्‍ण बाखरू की पुस्‍तक ‘’फलों और सब्जियों से चिकित्‍सा’’ से साभार लिया गया है। आलेख को कुछ संशोधित किया गया है। ये पुस्‍तक प्रभात प्रकाशन की वेबसाइट hindibooks.org से मंगाया जा सकती है।

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